शिक्षामित्रों को गुमराह करने वाले उनके नेता हैं, पैसे खा खाकर गाड़ी बांगला खड़ी कर ली। प्रधानों से लेकर सरकार तक इसमें दोषी है। पहले ग्राम स्तर पर चयन में राजनीति, फिर चुनाव नज़दीक देखकर अखिलेश और मोदी का लालीपाप। भूल गए नियम क़ानून भी कोई चीज़ होती है। शिक्षक बनने के लिए बीएड, बीटीसी, टीईटी ज़रूरी है। 90 फ़ीसद शिक्षा मित्र अच्छी तरह जानते हैं कि वो अध्यापक पद के योग्य नहीं हैं। इसलिए tet को फ़ेस नहीं करना चाहते। भाइयों आप लोगों के साथ मेरी संवेदनाएँ हैं लेकिन इतना ज़रूर जानिए कि मिस्त्री चाहे कितना भी अनुभवी और योग्य क्यों न हो, बिना बीटेक या be किए उसे इंजीनियर नहीं कहा जा सकता।और शिक्षामित्र चाहते हैं कि सरकार उनसे 7 और 13 का पहाड़ा सुनकर सहायक अध्यापक की नौकरी दे दे ।