मोदी जी ने जब गौ रक्षकों के भेष में छिपे लोगों को नंगा किया तो बहुतों को मिर्ची लगी। इस मिर्ची की जलन अभी कई महीनों तक महसूस होगी। थोड़ी सी मिर्ची मुझे भी लगी। मोदी जी ने ये क्या कह दिया। गौ वंशो को कटने से बचाने के लिए हमारे गौ रक्ष्ाकों की नीयत पर ही उंगली उठा दी। मन में उथल पुथल होने लगी। गांव के वो पुराने दिन याद आने लगे जब हमारी माता जी पहली रोटी गउ माता को डालने के लिए हमें भेज देती थीं। ज्यादा नहीं 30 साल पहले की बात है। उस समय हमारे गांव की आबादी 5 हजार रही होगी। शनिवार को श्रीराम बाजार की रौनक गाय, बैल और बछड़ों से होती थी। दूर दूर से लोग अच्छी किस्म के गायों और बैलों को खरीदने आते थे। हो सकता हो इनमें से कुछ स्लाटर हाउस में भी जाते हों पर अधिकतर बैलों की खरीद बैलगाडी और खेत में जुताई के लिए की जाती थी। गायों की कीमत उनके दूध देने की क्षमता पर तय होती थी। बनियों का हमार मोहल्ला। सबका अपना अपना व्यवसाय पर सभी गौ सेवक। उस समय दो तीन घरों को छोड़ सभी के दरवाजों पर गाय बंधी होती थी। शंकर चाचा की मरखइया गाय पूरे मोहल्ले में बदनाम थी। क्या मजाल कि कोई उसके पास स