मोदी जी ने जब गौ रक्षकों के भेष में छिपे लोगों को नंगा किया तो बहुतों को मिर्ची लगी। इस मिर्ची की जलन अभी कई महीनों तक महसूस होगी। थोड़ी सी मिर्ची मुझे भी लगी। मोदी जी ने ये क्या कह दिया। गौ वंशो को कटने से बचाने के लिए हमारे गौ रक्ष्ाकों की नीयत पर ही उंगली उठा दी। मन में उथल पुथल होने लगी। गांव के वो पुराने दिन याद आने लगे जब हमारी माता जी पहली रोटी गउ माता को डालने के लिए हमें भेज देती थीं। ज्यादा नहीं 30 साल पहले की बात है। उस समय हमारे गांव की आबादी 5 हजार रही होगी। शनिवार को श्रीराम बाजार की रौनक गाय, बैल और बछड़ों से होती थी। दूर दूर से लोग अच्छी किस्म के गायों और बैलों को खरीदने आते थे। हो सकता हो इनमें से कुछ स्लाटर हाउस में भी जाते हों पर अधिकतर बैलों की खरीद बैलगाडी और खेत में जुताई के लिए की जाती थी। गायों की कीमत उनके दूध देने की क्षमता पर तय होती थी। बनियों का हमार मोहल्ला। सबका अपना अपना व्यवसाय पर सभी गौ सेवक। उस समय दो तीन घरों को छोड़ सभी के दरवाजों पर गाय बंधी होती थी। शंकर चाचा की मरखइया गाय पूरे मोहल्ले में बदनाम थी। क्या मजाल कि कोई उसके पास स
Photo Credit By Google 26 नहीं बल्कि 28 साल बाद एक बार फिर राम के नाम पर सियासत गर्म है. राम नाम की हांड़ी पर एक बार फिर वोट की खिचड़ी चढ़ गई है. वैसे ही जैसे 1990 में चढ़ी थी. 25 सितंबर 1990 को लालकृष्ण आडवाणी राम जन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिए रथ लेकर निकल चुके थे. बीजेपी की योजना थी कि आडवाणी का रथ 30 अक्टूबर 1990 को अयोध्या में प्रवेश करे, जिस दिन विश्व हिंदू परिषद ने कारसेवा का एलान किया था। केंद्र में जनता दल की सरकार थी, जिसे बीजेपी का समर्थन हासिल था। विश्वनाथ प्रताप सिंह देश के प्रधानमंत्री थे। कार सेवा के आह्वान के मद्देनजर देश में एक तनाव का माहौल बनता जा रहा था। सोमनाथ से शुरू हुई यह रथयात्रा अयोध्या में महाभारत की स्क्रिप्ट तैयार कर रही थी.उस समय मैं 8वीं कक्षा का छात्र था. नियमित रूप से संघ की शाखा में भी जाता था. मेरे गांव की शाखा में करीब 60 स्वयंसेवक रेगुलर आते थे. गणेश छू, अंग छू, कबड्डी, खो-खो, योग और आसनों के बाद रोज की परिचर्चा में राम मंदिर और आडवाणी जी की रथयात्रा मुख्य मुद्दे होते थे. विश्व हिन्दू परिषद के अयोध्या में कारसेवा के ऐलान