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राम नाम की हांड़ी पर वोट की खिचड़ी , पकेगी या बीरबल की बनकर रह जाएगी

Photo Credit By Google 26 नहीं बल्कि 28 साल बाद एक बार फिर राम के नाम पर सियासत गर्म है. राम नाम की हांड़ी पर एक बार फिर वोट की खिचड़ी चढ़ गई है. वैसे ही जैसे 1990 में चढ़ी थी. 25 सितंबर 1990 को लालकृष्ण आडवाणी राम जन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिए रथ लेकर निकल चुके थे. बीजेपी की योजना थी कि आडवाणी का रथ 30 अक्टूबर 1990 को अयोध्या में प्रवेश करे, जिस दिन विश्व हिंदू परिषद ने कारसेवा का एलान किया था। केंद्र में जनता दल की सरकार थी, जिसे बीजेपी का समर्थन हासिल था। विश्वनाथ प्रताप सिंह देश के प्रधानमंत्री थे। कार सेवा के आह्वान के मद्देनजर देश में एक तनाव का माहौल बनता जा रहा था। सोमनाथ से शुरू हुई यह रथयात्रा अयोध्या में महाभारत की स्क्रिप्ट तैयार कर रही थी.उस समय मैं 8वीं कक्षा का छात्र था. नियमित रूप से संघ की शाखा में भी जाता था. मेरे गांव की शाखा में करीब 60 स्वयंसेवक रेगुलर आते थे. गणेश छू, अंग छू, कबड्डी, खो-खो, योग और आसनों के बाद रोज की परिचर्चा में राम मंदिर और आडवाणी जी की रथयात्रा मुख्य मुद्दे होते थे.  विश्व हिन्दू परिषद के अयोध्या में कारसेवा के ऐलान

नाइट क्लब

 हमारे पास ठेके वाली दारू है, जबड़े से बियर की बोतल उखाड़ने वाला ओपनर है, एक कश बीड़ी और एक कश सिगरेट खींचने वाला फेफड़ा है एक ताज़ा अहसास ——————— प्रिय कमल जी, पिछले दिनों दिल्ली के एक फ़ाइव स्टार होटल में नाइटक्लब की ओपनिंग में गया था। साथ में हिसार वाले सेठी भी थे। वहां टीना, मीना, रीना, खुराना, भाटिया, वालिया जैसे बहुत सारे अनाम किरदार थे। इनकी जिंदगी के अंदर झांकने की कोशिश की। अनुभव की आँखों ने वहां घना अंधेरा देखा। ये लोग बाहर से चाहे जितने खुश दिखते हों, भीतर मरघटी सन्नाटा पसरा था। दरअसल, ऐसे लोग महानगरीय जिंदगी की त्रासदियों के चंद नमूनों में से हैं। बाहर लकदक, तड़क-भड़क, रंग-रोशनी और भीतर तन्हाइयां, जड़ों से कटे हुए, रिश्तों से भटके हुए और मन ही मन डरे हुए लोग। ये न तो दिल खोलकर हंस सकते हैं, न ही जार-जार रो पाते हैं...सर्कस के जोकर की तरह। अंदर की इसी बेचैनी, इसी वीराने और अवसाद के मलबे से बाहर निकलने के लिए महानगरों का यह दयनीय तबका दौलत के बूते नाइटलाइफ में रेत की मुट्ठियां बांधने की कोशिशें करता है। भला रेत की मुट्ठी कैसे बंधेगी! रेत फिसलता जाता है, मुट्ठी ढील