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Showing posts from November, 2018

राम नाम की हांड़ी पर वोट की खिचड़ी , पकेगी या बीरबल की बनकर रह जाएगी

Photo Credit By Google 26 नहीं बल्कि 28 साल बाद एक बार फिर राम के नाम पर सियासत गर्म है. राम नाम की हांड़ी पर एक बार फिर वोट की खिचड़ी चढ़ गई है. वैसे ही जैसे 1990 में चढ़ी थी. 25 सितंबर 1990 को लालकृष्ण आडवाणी राम जन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिए रथ लेकर निकल चुके थे. बीजेपी की योजना थी कि आडवाणी का रथ 30 अक्टूबर 1990 को अयोध्या में प्रवेश करे, जिस दिन विश्व हिंदू परिषद ने कारसेवा का एलान किया था। केंद्र में जनता दल की सरकार थी, जिसे बीजेपी का समर्थन हासिल था। विश्वनाथ प्रताप सिंह देश के प्रधानमंत्री थे। कार सेवा के आह्वान के मद्देनजर देश में एक तनाव का माहौल बनता जा रहा था। सोमनाथ से शुरू हुई यह रथयात्रा अयोध्या में महाभारत की स्क्रिप्ट तैयार कर रही थी.उस समय मैं 8वीं कक्षा का छात्र था. नियमित रूप से संघ की शाखा में भी जाता था. मेरे गांव की शाखा में करीब 60 स्वयंसेवक रेगुलर आते थे. गणेश छू, अंग छू, कबड्डी, खो-खो, योग और आसनों के बाद रोज की परिचर्चा में राम मंदिर और आडवाणी जी की रथयात्रा मुख्य मुद्दे होते थे.  विश्व हिन्दू परिषद के अयोध्या में कारसेवा के ऐलान