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गोरखपुर के बीआरडी पीजी मेडिकल कॉलेज में आक्सीजन की सप्लाई रोक दिए जाने से 40 बच्चों की मौत हो गई। प्रशासन भले ही इसे लापरवाही बताये लेकिन, ये सीधे-सीधे हत्या का मामला बनता है। जहाँ तक मैं जानता हूँ , भारतीय दंड संहिता के मुताबिक़ अगर कोई व्यक्ति, यह जानते हुए कोई ऐसा कृत्य करता है कि उससे किसी की जान चली जाएगी, तो वह व्यक्ति हत्या का दोषी है। गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में भी ऐसा ही हुआ। आइसीयू या एनआइसीयू में भर्ती किसी भी मरीज़ के लिए निर्बाध आक्सीजन की सप्लाई की व्यवस्था सुनिश्चित करना अस्पताल प्रसाशन की ज़िम्मेदारी है । एक साधारण इंसान भी यह जानता है कि एक मिनट के लिए आक्सीजन न मिलने से साँसों की डोर थम जाएगी। इसके बावजूद आक्सीजन की सप्लाई रोकी गई और मरीज़ों को मौत के मुँह से निकालने वाला मेडिकल कॉलेज क़त्लगाह बन गया। इस अपराध के लिये जो भी ज़िम्मेदार हैं उनपर हत्या और आपराधिक षड्यन्त्र का मुक़दमा चलना चाहिये। इंसेफ़ेलाइटिस को जड़ से ख़त्म करने की मुहिम छेड़ने वाले योगी जी सीएम बनने के बाद एक ऐसे काकस से घिर गए हैं जो उनकी साख पर बट्टा लगा रहा है। भाई प्रेम शंकर मिश्रा के फ़ेसबुक वॉल स
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