गोरखपुर के बीआरडी पीजी मेडिकल कॉलेज में आक्सीजन की सप्लाई रोक दिए जाने से 40 बच्चों की मौत हो गई। प्रशासन भले ही इसे लापरवाही बताये लेकिन, ये सीधे-सीधे हत्या का मामला बनता है। जहाँ तक मैं जानता हूँ , भारतीय दंड संहिता के मुताबिक़ अगर कोई व्यक्ति, यह जानते हुए कोई ऐसा कृत्य करता है कि उससे किसी की जान चली जाएगी, तो वह व्यक्ति हत्या का दोषी है। गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में भी ऐसा ही हुआ। आइसीयू या एनआइसीयू में भर्ती किसी भी मरीज़ के लिए निर्बाध आक्सीजन की सप्लाई की व्यवस्था सुनिश्चित करना अस्पताल प्रसाशन की ज़िम्मेदारी है । एक साधारण इंसान भी यह जानता है कि एक मिनट के लिए आक्सीजन न मिलने से साँसों की डोर थम जाएगी। इसके बावजूद आक्सीजन की सप्लाई रोकी गई और मरीज़ों को मौत के मुँह से निकालने वाला मेडिकल कॉलेज क़त्लगाह बन गया। इस अपराध के लिये जो भी ज़िम्मेदार हैं उनपर हत्या और आपराधिक षड्यन्त्र का मुक़दमा चलना चाहिये। इंसेफ़ेलाइटिस को जड़ से ख़त्म करने की मुहिम छेड़ने वाले योगी जी सीएम बनने के बाद एक ऐसे काकस से घिर गए हैं जो उनकी साख पर बट्टा लगा रहा है।
भाई प्रेम शंकर मिश्रा के फ़ेसबुक वॉल से ली गई इस पोस्ट को भी पढ़िए,
योगी जी आप तो ऐसे न थे!
जिसका भी गोरखपुर से पिछले 20 साल से सक्रिय नाता रहा है वह योगी आदित्यनाथ की कार्यप्रणाली को जानता है। धर्मगुरू, उग्र हिंदुत्ववादी छवि से इतर योगी का सबसे सशक्त परिचय जनसंवाद का था। आंदोलनों, बैठकों, कार्यक्रमों में सीधे भागीदारी के जरिए जनता से फीडबैक लेने का अंदाज योगी को इसलिए जुदा करता था क्योेकि उनके पास अधिकारियों के आंकड़े नहीं जमीन की वास्तविकता होती थी। आखिर मुख्यमंत्री बनने के महज चार महीने में ही इस फीडबैक सिस्टम को किस शैतान ने खा लिया योगी जी? जिस व्यक्ति को शहर की नाली का माप तक पता था उसे उस गोरखपुर मेडिकल कॉलेज की गड़बड़ियों की भनक तक नहीं लगी जिसके मुद्दे उसने संसद तक में उठाए? पूरा शहर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल की दलाली की चर्चा करता रहा। अखबार मेडिकल कॉलेज में आक्सीजन की कमी की खबरों से पटे रहे और आप गोरखपुर में रहते हुए भी इस सच को नही जान सके? मेडिकल कॉलेज में आपका दौरा क्या वास्तविकता परखने की जगह दूसरे सियासतदानों की तरह ही 'मेडिकल पर्यटन' था? क्या आपको नहीं पता कि जिस अफसर को आपने गोरखपुर संभालने की कमान दी है उसके खिलाफ विजिलेंस ने कार्रवाई की सिफारिश की है? गोरखपुर में मेडिकल कॉलेज में दलाली व गड़बडियों के किस्से मुख्यमंत्री बनते ही आपके जेहन से मिट गए? लिक्विड ऑक्सीजन की सप्लाई की सुविधा गोरखपुर में उपलब्ध होने के बाद भी इलाहाबाद की फर्म को ठेका देने का निर्णय आपको बिल्कुल असमान्य नहीं लगा? अगर इन सवालों के जवाब ना है तो ऑक्सीजन की कमी से एक भी सांस नहीं रूकनी चाहिए थी महाराज? यकीन मानिए आपके ये जो नए आंख और कान है न! इन्होंने कुर्सी पर बैठे न जाने कितने लोगों की अंधा व बहरा बनाया है और उसके बाद हाशिए पर डाल दिया है। आप सन्यासी हैं। इनका मोहपाश तोड़िए,नहीं, तो यह आपको 'तोड़' डालेंगे और तब आपके पास इस मलाल के सिवा कुछ नहीं रहेगा कि ऐतिहासिक मौका मिला था जो मिट्टी में मिल गया। और हां! मौत कागजोें से तो मिटा देंगे लेकिन प्रात: स्मरण के समय 'कराग्रे वसते...' करने के लिए जब दोनों हथिलयों को चेहरे के सामने लाएंगे तो उन मासूमों का चेहरा आईने की तरह उभर आएगा और दिखेंगे महज खून से सने हाथ!!!
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योगी जी आप तो ऐसे न थे!
जिसका भी गोरखपुर से पिछले 20 साल से सक्रिय नाता रहा है वह योगी आदित्यनाथ की कार्यप्रणाली को जानता है। धर्मगुरू, उग्र हिंदुत्ववादी छवि से इतर योगी का सबसे सशक्त परिचय जनसंवाद का था। आंदोलनों, बैठकों, कार्यक्रमों में सीधे भागीदारी के जरिए जनता से फीडबैक लेने का अंदाज योगी को इसलिए जुदा करता था क्योेकि उनके पास अधिकारियों के आंकड़े नहीं जमीन की वास्तविकता होती थी। आखिर मुख्यमंत्री बनने के महज चार महीने में ही इस फीडबैक सिस्टम को किस शैतान ने खा लिया योगी जी? जिस व्यक्ति को शहर की नाली का माप तक पता था उसे उस गोरखपुर मेडिकल कॉलेज की गड़बड़ियों की भनक तक नहीं लगी जिसके मुद्दे उसने संसद तक में उठाए? पूरा शहर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल की दलाली की चर्चा करता रहा। अखबार मेडिकल कॉलेज में आक्सीजन की कमी की खबरों से पटे रहे और आप गोरखपुर में रहते हुए भी इस सच को नही जान सके? मेडिकल कॉलेज में आपका दौरा क्या वास्तविकता परखने की जगह दूसरे सियासतदानों की तरह ही 'मेडिकल पर्यटन' था? क्या आपको नहीं पता कि जिस अफसर को आपने गोरखपुर संभालने की कमान दी है उसके खिलाफ विजिलेंस ने कार्रवाई की सिफारिश की है? गोरखपुर में मेडिकल कॉलेज में दलाली व गड़बडियों के किस्से मुख्यमंत्री बनते ही आपके जेहन से मिट गए? लिक्विड ऑक्सीजन की सप्लाई की सुविधा गोरखपुर में उपलब्ध होने के बाद भी इलाहाबाद की फर्म को ठेका देने का निर्णय आपको बिल्कुल असमान्य नहीं लगा? अगर इन सवालों के जवाब ना है तो ऑक्सीजन की कमी से एक भी सांस नहीं रूकनी चाहिए थी महाराज? यकीन मानिए आपके ये जो नए आंख और कान है न! इन्होंने कुर्सी पर बैठे न जाने कितने लोगों की अंधा व बहरा बनाया है और उसके बाद हाशिए पर डाल दिया है। आप सन्यासी हैं। इनका मोहपाश तोड़िए,नहीं, तो यह आपको 'तोड़' डालेंगे और तब आपके पास इस मलाल के सिवा कुछ नहीं रहेगा कि ऐतिहासिक मौका मिला था जो मिट्टी में मिल गया। और हां! मौत कागजोें से तो मिटा देंगे लेकिन प्रात: स्मरण के समय 'कराग्रे वसते...' करने के लिए जब दोनों हथिलयों को चेहरे के सामने लाएंगे तो उन मासूमों का चेहरा आईने की तरह उभर आएगा और दिखेंगे महज खून से सने हाथ!!!
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